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सूर्य स्तुति (विनय पत्रिका) - Surya Stuti (Vinay Patrika)
दीन-दयालु दिवाकर देवा ।
कर मुनि, मनुज, सुरासुर सेवा ॥
हिम-तम-करि केहरि करमाली ।
दहन दोष-दुख-दुरित-रुजाली ॥
कोक-कोकनद-लोक-प्रकासी ।
तेज -प्रताप-रूप-रस-रासी ॥
सारथि-पंगु, पंगुदिब्य रथ-गामी ।
हरि-संकर -बिधि-मूरति स्वामी ॥
बेद पुरान प्रगट जस जागै ।
तुलसी राम-भगति बर माँगै ॥
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