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माँ तारा चालीसा - Ma Tara Chalisa

॥दोहा॥

श्री गणपति गुरु गौरी, पूजिहउं सिर नाइ।

तारा बल जल सोखनि, बिमल विद्या दाइ॥


॥चालीसा॥

नमो नमो तारा जगदम्बा।

तुम बिन होत न होई अम्बा॥


जय हेमवती जय जगदम्बे।

जय अचला जय दुर्गे अम्बे॥


शिवशंकर की तुम हो प्यारी।

करहुं कृपा मति हो संहारी॥


जय गायत्री वेद की माता।

तुम बिन काहु न सुघर विधाता॥


ब्रह्मा विष्णु महेश सवारी।

तीनों देव तुम्हारे पुजारी॥


करहुं दया मति ममता भारी।

हम सबकी तुम हो हितकारी॥


सृष्टि पालन तुम्हारे बस में।

तुम्ह बिन कहुं न दूजा जग में॥


रक्षक हो तुम परम विशाल।

तुम्हरा कृपा सदा सुफल॥


शरणागत की तुम हो माता।

कृपा करो अम्बे विघ्न हटा॥


शत्रु विनाशिनी मति हो माती।

तुम्ह बिन पूर्ण कहुं नहि पाती॥


भव सागर सब पार करावे।

तारा भवानी कृपा बरसावे॥


संत जनों की तुम हो प्यारी।

तुम्ह बिन होत न कोई भिखारी॥


रिद्धि सिद्धि की तुम हो दाता।

विपत्ति हरो सबकी विधाता॥


दीन हीन के दुख हरणी।

तुम हो सबकी अधिपति मरणी॥


अघट की तुम हो महिमा भारी।

तुम बिन सृष्टि न कोई उधारी॥


शरणागत को ना तजना।

तुम बिन कौन करू उद्धार॥


कृपा दृष्टि करहुं हम पर।

सुख संपत्ति होय घर घर॥


दया करो अब तुम मति मारी।

हम पर अम्बे कृपा उतारी॥


॥दोहा॥

शरणागत की रक्षा करु, दुष्ट दलन कर पाय।

तारा भवानी मति मति, संकट दूर कराय॥

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